This is my first poem...thought of sharing with all of you..
चुप रहना शायद एक अच्छी बात होती है
पर जिन्दंगी की लम्बी दौड़ में ये कई बार घातक भी होती है
ये चुप अगर आपको समस्या से निकालती है
तो कई बार समस्या मैं डालती भी है
जो बात उनके एक बोल से किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकती है
वो लम्बे समय तक सरकारी फाइलों के पन्नों में बंद रहती है
चुप अगर प्रसाद है , तो प्रताड़ना भी है
किसी के जिन्दंगी के घुटन या इन्सेकुरिटी का एहसास भी है
आप चुप जरूर रहें , ये अच्छा गुण है
पर कृप्या अपने चुप को हथियार की तरह इस्तेमाल न करें
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